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Sab Kuch Kar Sakti Hain Betiyan (en Hindi)
Rajendra Pandey
(Autor)
·
Prabhakar Prakashan
· Tapa Blanda
Sab Kuch Kar Sakti Hain Betiyan (en Hindi) - Pandey, Rajendra
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Reseña del libro "Sab Kuch Kar Sakti Hain Betiyan (en Hindi)"
समाज ने स्त्री और पुरुष के मध्य भेदभाव को दीवार खड़ी की है। जिस कारण स्त्री उन सभी संसाधनों एवं अधिकारों से वंचित रह जाती हैं, जिसपर पुरुषों जितना उनका भी हक है। समान शिक्षा और समान वेतन ही नहीं बल्कि वे उचित सम्मान को भी अधिकारी हैं। अक्सर स्त्रियों और पुरुषों के जीवन में एक ही शब्द भिन्न सन्दर्भ एवं अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-पुरुषों के लिए सेटलमेंट शब्द से आशय अच्छी नौकरी और अपना घर होता है, वहीं स्त्रियों के लिए सेटल होना मतलब विवाह और बच्चे हैं। जो स्त्री इस सेटलमेंट की परिभाषा को स्वीकार नहीं करती, वह समाज को आँखों की किरकिरी बन जाती है। जीवन के हर पड़ाव पर खुद को साबित करती, निडर हो, सवाल करती है और साथ हो, जो स्त्रियां अपने जीवन की बागडोर अपने हाथ में लेकर चलती है, उन्हें समाज में बागी समझा जाता है। समाज को नज़र में आज भी पुत्री पराया धन और पुत्र जीवन भर की पूँजी हैं। माता-पिता के स्नेह सौहार्द और संपत्ति, सभी के लिए स्त्रियों व संघर्षरत रहीं हैं। लेकिन उस संघर्ष ने जब बगावत का रूप लिया है, तब हरेक स्त्री ने कति को मशाल जलाई, जो जंगल की आग बन पितृसत्ता की राख कर गयी है और उसी राख पर अपने अत का पुनर्लेखन कर कहती हैं बे
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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