Shoonya Samadhi (शून्य सम ) (en Hindi)

Osho · Diamond Pocket Books Pvt Ltd

Ver Precio
Envío Gratis a todo México

Reseña del libro

आज सारी मनुष्यता बीमार है। प्रकृति के चारों तरफ दीवारें उठा दी गई हैं और आदमी उनके भीतर बैठ गया है। और यह आदमियत स्वस्थ नहीं हो सकेगी जब तक कि चारों तरफ उठी हुईं दीवारों को हम गिरा कर प्रकृति से वापस संबंध न बांध सकें।परमात्मा के संबंध सबसे पहले प्रकृति के सान्निध्य के रूप में ही उत्पन्न होते हैं। परमात्मा से सीधा क्या संबंध हो सकता है? सीधा परमात्मा तक क्या पहुंच हो सकती है? उस अनंत पर हमारे क्या हाथ हो सकते हैं? हमारे क्या पैर बढ़ सकते हैं? लेकिन जो निकट है, जो चारों तरफ मौजूद है, उसके बीच और हमारे बीच की दीवारें तो गिराई जा सकती हैं। उसके बीच और हमारे बीच द्वार तो हो सकता है, खुले झरोखे तो हो सकते हैं। लेकिन वे नहीं हैं। और प्रकृति का सान्निध्य कुछ मूल्य पर नहीं मिलता, बिलकुल मुफ्त मिलता है। लेकिन हमने वह छोड़ दिया। हमें उसका खयाल नहीं रह गया है। आदमी की पूरी आत्मा इसीलिए रुग्ण हो गई है।ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः* क्या हैं झूठे ज्ञान से मुक्ति के उपाय?* आनंद का भाव कैसे विकसित हो? * क्या अर्थ है अभेद का? अद्वैत का?* कृतज्ञ कैसे हों?

Opiniones del Libro

Opiniones sobre Buscalibre

Ver más opiniones de clientes